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मां खैरा भवानी मंदिर बडगांव गोंडा

 

माँ खेरा भावानी मन्दिर 




मां खैरा भवानी मंदिर खैरा भवानी मंदिर के प्रति मान्यता है कि यहां पर सच्चे दिल से मांगी गई मुराद अ

मां खैरा भवानी मंदिर

खैरा भवानी मंदिर के प्रति मान्यता है कि यहां पर सच्चे दिल से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। नवरात्र में यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। हर कोई मां के जयकारे लगाता नजर आता है।

इतिहास

आज जहां पर मंदिर स्थित है, वहां पहले जंगल हुआ करता था। अंग्रेजों के जमाने में यहां रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। जानकारों की मानें तो इस स्थान पर प्रकाश पुंज के रूप में आदिशक्ति दिखाई पड़ी थी, जिसे देखकर अंग्रेज भाग खड़े हुए थे। दरअसल, मंदिर के पास से होते हुए अंग्रेज सरकार बलरामपुर के लिए रेलवे लाइन बिछाना चाह रही थी। इसके लिए जैसे ही काम शुरू किया गया भी प्रकाश पुंज दिखाई पड़ने पर लोग पूजा पाठ करने लगे। मंदिर की स्थापना हुई। लोग आदिशक्ति को मां खैरा भवानी के नाम से पुकारते आ रहे हैं।

विशेषता

मंदिर में जाने के लिए एक ही दरवाजा है। इसी से सभी भक्त मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं। यहां पर मां की ज्योति के साथ भीतर कई अन्य देवी देवताओं के मंदिर भी है। देवी के विभिन्न स्वरुपों की प्रतिमाएं मंदिर के भीतर विराजमान है। भगवान शंकर, हनुमान, काल भैरव के अलावा अन्य देवी देवताओं की पूजा एक साथ ही होती है। इससे मंदिर में भक्ति की अद्भुत छटा बिखरी दिखाई देती है।

वास्तु कला

मंदिर के बगल में एक पोखरा है। जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है। कहा जाता है कि पानी निकलने के लिए इसमें सात कुंए मौजूद है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले लोगों को पोखरे के पानी से आचमन करना होता है।

ऐसे पहुंचें मंदिर

शहर के बड़गांव मोहल्ले से होते हुए खैरा को जाने का रास्ता है। बस व रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले लोग रेलवे स्टेशन से रेलवे ओवर ब्रिज को पार करते ही बाएं तरफ गांधी विद्यालय इंका रेलवे कालोनी वाले रास्ते पर मुड़ना है। वहां से होते हुए पंड़रीकृपाल ब्लॉक को जाने वाली रोड पर आगे बढ़ना है। मंदिर ब्लॉक कार्यालय के बगल में ही स्थित है।

पुजारी के बोल

मंदिर के पुजारी कैलाश नाथ गिरि का कहना है कि देवी ज्योति के रूप में प्रकट हुई थी। यहां पर नवरात्र के अलावा भी हर समय मेले जैसा माहौल रहता है। नवरात्र के अवसर पर होने वाली भीड़ को देखते हुए यहां पर सुरक्षा व अन्य विशेष प्रबंध किए गए हैं। इससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
History
Where the temple is located today, there used to be a forest earlier.
During the British era, the work of laying the railway line started here. According to the experts, Adishakti had appeared in the form of a beam of light at this place, seeing which the British had fled. Actually, the British government was trying to lay a railway line for Balrampur through the temple. For this, as soon as the work was started, people started worshiping after seeing the beam of light. The temple was established. People have been calling Adishakti by the name of Maa Khaira Bhavani.
Specialty
There is only one door to enter the temple. From this all the devotees enter inside the temple. Along with the mother's light, there are also temples of many other deities inside. Idols of various forms of the goddess are seated inside the temple. Apart from Lord Shankar, Hanuman, Kaal Bhairav, other deities are worshiped together. Due to this, a wonderful shade of devotion is seen scattered in the temple.
architecture
There is a pokhara next to the temple. Which is always filled with water. It is said that there are seven wells in it to get water. Before entering the temple, people have to do achaman with the water of the pond.
How to reach temple
The way to Khaira is through the Badgaon locality of the city. People reaching the bus and railway station, as soon as they cross the railway over bridge from the railway station, turn left on the way to Gandhi Vidyalaya Inca Railway Colony. From there, proceed on the road leading to Pandrikripal block. The temple is located next to the block office.
priest's words
The priest of the temple, Kailash Nath Giri, says that the goddess appeared in the form of Jyoti. Apart from Navratri here, there is a fair-like atmosphere at all times. In view of the crowd on the occasion of Navratri, security and other special arrangements have been made here. Due to this, the devotees coming should not face any kind of inconvenience.

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